
बिहार के दरभंगा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुरुवार को अंबेडकर हॉस्टल में छात्रों से मिलने से रोक दिया गया। उनका कार्यक्रम ‘शिक्षा न्याय संवाद’ के तहत दलित और पिछड़े छात्रों से संवाद करने का था, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने हॉस्टल के गेट पर ही उन्हें रोक दिया।
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NDA पर राहुल का सीधा वार
राहुल गांधी ने इस पूरे घटनाक्रम पर एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा:
“बिहार की डबल इंजन धोखेबाज़ सरकार मुझे दलित और पिछड़े छात्रों से बातचीत करने से रोक रही है। क्या संवाद अब अपराध है? नीतीश कुमार किस बात से डर रहे हैं?”
अनुमति पर उठा सवाल
प्रशासन का कहना है कि कार्यक्रम के लिए टाउन हॉल को अधिकृत स्थल बताया गया था, जबकि कांग्रेस चाहती थी कि संवाद अंबेडकर हॉस्टल में ही हो। कांग्रेस नेताओं ने गेट खोलने की अपील की, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
कांग्रेस का पलटवार
वरिष्ठ नेता अभय दुबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“दरभंगा प्रशासन बीजेपी-जेडीयू के इशारे पर काम कर रहा है। यह वंचितों की आवाज़ दबाने की साजिश है। राहुल गांधी को देश के दलित-पिछड़े वर्गों का अटूट समर्थन प्राप्त है।”
विश्लेषण, रूबी अरुण:
“जब राहुल गांधी जैसे नेता को अंबेडकर हॉस्टल में दलित छात्रों से मिलने से रोका जाता है, तो सवाल सिर्फ प्रशासनिक अनुमति का नहीं, बल्कि सियासी मंशा का होता है। क्या भारत में अब सामाजिक न्याय पर संवाद भी सत्ता को असहज करने लगा है? ‘शिक्षा न्याय संवाद’ रोकना, दरअसल वंचितों की आवाज़ पर पर्दा डालने जैसा है — और यह लोकतंत्र की सेहत के लिए खतरनाक संकेत है।”
राहुल गांधी को अंबेडकर हॉस्टल में प्रवेश से रोकना केवल एक कार्यक्रम बाधित करना नहीं है — यह उस विमर्श को रोकने की कोशिश है जो शिक्षा, अवसर और सामाजिक न्याय की बात करता है। सवाल अब सिर्फ यह नहीं कि राहुल को रोका क्यों गया, बल्कि यह भी है कि आखिर किसे डर है वंचितों की आवाज़ से?
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